कौन हैं संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ? Part 3

इतिहास
में देखें तो इन सब की श्रेणी में जो भी व्यक्ति आये उनमे से कोई बहुत ज्यादा गरीब
भी थे, अमीर भी थे, राजा भी थे, और प्रजा में भी थे, खूबसूरत भी थे, करूप भी थे, शादी
शुदा भी थे, और कुंवारे भी थे, गायक भी थे, नाचने वाले भी थे ।
इसलिए
सच्चे महापुरुष की पहचान इन सब पैमानों से तो करना ही बेकार है ।
हमने
अलग अलग महापुरषों की गाथाएं पढ़ी और हमे तीन तरह के महापुरुष मिले ।
पहले
वो जो खुद तपस्या किया करते थे और सबको तपस्या करवाया करते थे । सीधे सादे, किसी से
कोई लेना देना नहीं, सिर्फ ईश्वर परमात्मा की बात करते थे ।
दूसरे
वो जो समाज में कुरीतियों की आलोचना करते थे, कुछ नया करना सिखाते थे और कुछ नई बात
बताते थे ।
तीसरे
वो जो क्रांतिकारी थे और बुराई से सीधा लड़ते थे, लड़ाई में चाहे उनका मुकाबला दुनिया
के राजा से ही क्यों न हो जाए, लेकिन वो पीछे नहीं हटते थे । अधिकतर ऐसे क्रांतिकारी
फकीरों ने बुराई के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान गवाई और अमर हो गए ।
सभी
महापुरषों की जीवनी पढ़ने पर आपको इन सब में बहुत सारी समानताओं का अहसास होगा और फिर
आपको इस सृष्टि में होने वाली हर घटना समझ आने लगेगी ।
एक उदाहरण
से समझिये: एक बच्चे को पढ़ाई करके सफल इंसान बनना है तो उसे गुरु, शिक्षक की जरुरत
है, और उसके शिक्षक कैसे होंगे ?
सबसे
पहले वो, जो उसे अक्षर लिखना सिखाएंगे | जब वो अक्षर लिखना, वाक्य लिखना, जोड़ घटा भाग
करना सीख जाएगा, उसके बाद उसे दूसरी तरह के शिक्षक उन वाक्यों को इस्तमाल करना, गणित,
विज्ञान के तरीकों को समझना सिखाएंगे, तीसरी तरह के शिक्षक उसे उस शिक्षा का बेहतर
तरीके से इस्तमाल करके पैसा कमाना, नाम कमाना सिखाएंगे ।
कुछ
इसी तरह इस दुनिया में फ़कीर हमेशा कुछ हिस्सों में आते हैं । पहले वो जो हमे भक्ति
करने का बुनियादी तरीका सिखाते हैं । दूसरे वो जो उस भक्ति को अलग अलग तरीकों से एकत्रित
करना सिखाते हैं, तीसरे वो जो उस भक्ति को सच की लड़ाई में इस्तमाल करना सिखाते हैं
।
अब आप
किसी भी महापुरुष की जिदंगी में झाँक कर देखिये । जैसे सिखों के दस गुरु साहेबान माने
जाते हैं । गुरुनानक देव जी ने भक्ति करना सिखाया जिसमे गाना बजाना, तपस्या करना, सब
कुछ था, धीरे धीरे गुरु साहेबान आते गए और भक्ति और कठिन होती गयी और आखिर में श्री
गुरु गोबिंद सिंह जी के समय सारी शिक्षा, सारी शिक्षा का सच की लड़ाई में जमकर इस्तमाल
हुआ और उस लड़ाई में कुर्बानी देने वाले अमर हो गए ।

दिलचस्प
यह है कि जिन महापुरषों ने भी निर्णायक लड़ाई लड़ी है, उनका साथ देने वाले लोगों के समुदाय
को एक नए धर्म के रूप में पहचान मिली है । फिर चाहे वो मुसलमान हो या चाहे सिख ।
अगर
आज हम डेरा सच्चा सौदा की बात करें तो उपरोक्त प्रकरण कुछ कुछ संत राम रहीम जी के साथ
भी मेल खा रहा है । लेकिन डेरा सच्चा सौदा के समर्थकों के हिसाब से नया इतिहास बनने
वाला है तो इसलिए हमे पुराने इतिहास को भी समझने की जरुरत है ।
चर्चा
में आगे हम धर्मों के और महापुरषों के इतिहास को टटोलकर देखेंगे कि इस बार इतिहास फिर
खुद को दोहरा रहा है या कुछ नया होने वाला है |
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