संत राम रहीम से जुड़े हर रहस्य का होगा पर्दाफाश (भाग 3)
महेंद्र पाल गुप्ता (हनीप्रीत
के पूर्व ससुर) तत्कालीन डेरा प्रमुख शाह सतनाम जी के ख़ास सेवकों में से एक थे । इसलिए
शुरुआत से ही वो मौजूदा डेरा प्रमुख के काफी करीबी माने जाते थे और स्वाभाविक है कि
वो डेरा के कार्यों में भी काफी सक्रीय होंगे । गुप्ता परिवार उस समय भी डेरा प्रमुख
के साथ सत्संग में जाता था जब डेरा प्रमुख सिर्फ 4-5 गाड़ियों के साथ सफर करते थे और
महीनो तक बाहर रहकर सत्संग किया करते थे । इसी वजह से उनके परिवार के लोग भी डेरा प्रमुख
के करीबी थे । उनके एकलौते पुत्र विश्वास गुप्ता का विवाह हनीप्रीत से 1999 में हुआ
था । 2009 तक विश्वास को हनीप्रीत से कोई शिकायत नहीं थी ।
लगभग 30-35 साल से डेरा के
साथ काम कर रहे महेंद्र पल गुप्ता की पुत्रवधु को एक दिन डेरा प्रमुख ने अपनी पुत्री
के सामान दर्जा दे दिया और लिहाजा हनीप्रीत का सम्मान और रुतबा डेरा समर्थकों में भी
बहुत बड़ा हो गया था । विश्वास गुप्ता को भी डेरा प्रमुख के दामाद के तरह देखा जाने
लगा था । डेरा प्रमुख के बाकी परिवार की तरह
विश्वास गुप्ता को भी सुरक्षा दी गयी और घर में कई नौकर भी काम के लिए लगा दिए गए ।
हनीप्रीत 2009 तक एक घरेलु
महिला थी और किसी भी तरह का प्रोफेशनल काम नहीं जानती थी । क्यूंकि हनीप्रीत के ससुराल
में अब सारा काम अब नौकर करने लगे थे, तो वो डेरा प्रमुख के बाकी परिवार की तरह ज्यादा समय
आश्रम की गतिविधियों में देने लगी थी ।

हनीप्रीत को औलाद नहीं थी और पारिवारिक झगड़ों की वजह से उसने अपने पति को तलाक दे दिया । फिर उसने डेरा प्रमुख के परिवार के साथ रहना शुरू किया । वो दोबारा शादी करना नहीं चाहती थी और आश्रम की सेवा में ही अपना जीवन जीना चाहती थी ।
डेरा समर्थक जानते थे कि डेरा प्रमुख अपने काम में किसी की भी मदद नहीं लेते थे । इसलिए उनके रोजमर्राह के काम को काम करने के लिए उनकी सभा में उनके समर्थकों ने एक प्रस्ताव रखा कि वो अपने साथ अपनी मुँहबोली बेटी हनीप्रीत को अपनी मदद के लिए अपने निवास में एक कमरा दे दें । उस समय उस सभा में लाखों लोग मौजूद थे इसलिए उनके प्रस्ताव को डेरा प्रमुख मना नहीं कर पाए ।
अब हनीप्रीत को इस देश के हिसाब से समझिये ।
इस देश में 11 वीं कक्षा की
छात्रा के एक गीत गाने पर राष्ट्रपति उसे पुरस्कृत करते हैं लेकिन जब उसी देश में एक
घरेलु तलाकशुदा महिला बिना professional training के एक सफल director बन गयी, जिसकी
बनाई फ़िल्में Berlin film Festival तक में भी चली और उसने देश का सम्मान बढ़ाया; ऐसी महिला
को राष्ट्रपति छोड़िये किसी गाँव के सरपंच ने भी शाबाशी नहीं दी ।
हनीप्रीत मेरी तुमसे एक प्रार्थना
है कि तुमने इस देश को समझने में गलती कर दी
इस देश का राजा एक तरफ जहाँ
रक्षाबंधन पर एक 70 साल की बुजुर्ग महिला से राखी बंधवाने का ढोंग करता है । दूसरी
तरफ अपने ही संसदीय क्षेत्र में देश की सैंकड़ों बेटियों को मर्दाना पुलिस कर्मियों
से पिटवाता हैं ।


किसी ने ठीक ही कहा है कि
दुश्मन हमेशा बहादुरों के होते हैं, कायरों के नहीं
रहा मीडिया का सवाल, जो रिपोर्टर
सालों साल एड़ियां घिसा कर इतना नाम नहीं कमा पाए उन्हें भला तुम्हारी कामयाबी कहाँ
बर्दाश्त होगी ।
भरोसे के नाम पर इस देश में
सिर्फ न्यायालय है । देखते हैं वो भरोसा सलामत रहेगा या नहीं ।
अब इस देश को समझना है कि
उन्हें मज़लूमों पर अत्याचार करने वालों की जरूरत है या तुम जैसी प्रतिभाशाली महिलाओं
की ।
कभी कभी लगता है के क्या होगा मेरे देश का ।यहां हनीप्रीत जैसी बेटी के उपर इलज़ाम लगा दिए हो। अभ जरूरत है सभी देश वासियों को जगाने की।
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