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सच्चा सौदा क्या है ?

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सच्चा सौदा क्या है ? सच्चा सौदा कोई नया धर्म, मज़हब, फिरका, सम्प्रदाय अथवा कोई नई लहर नहीं है । डेरा सच्चा सौदा में हर मज़हब और हर जाति से प्यार किया जाता है । सच्चा एक नाम है, और कोई भी वस्तु दुनिया में सच्ची तथा स्थिर रहने वाली नहीं है । इसलिए बाकी सब सौदे झूठ हैं, अर्थात नाम का सौदा करना ही सच्चा सौदा है और यही सच्चा व्यापार है । इस दरबार में केवल नाम ही जपा और जपाया जाता है, अर्थात नाम का सौदा करने की युक्ति बतायी जाती है ।  पवित्र गुरु बानी में श्री गुरु अमरदास जी भी यही फरमाते हैं सच्चा सउदा हरि नामु है सचा वपारा राम । गुरमती हरि नामु वणजिये अति मोलु अफारा राम ।। (म.3, 570) सच्चा सौदा सुख दा राह । सब बन्धना तों पा छुटकारा, मिलदा सुख दा साह ।। जिस समय जीव 'नाम शब्द' अर्थात गुरमन्त्र प्राप्त कर लेता है और सच्चे सौदे के नियमों को अच्छी तरह समझ कर अपना लेता है, फिर उसे दुखों और कठनाईओं भरे रास्ते पर नहीं चलना पड़ता । जीव सुख के मार्ग की ओर अग्रसर हो जाता है ।     जितने भी जाति पाति, मज़हब धर्म, भूत प्रेत, देवी देवते (जैसे ब...

कौन हैं संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ? Part 5

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धर्म को लेकर आधुनिक बुद्धिजीवी में बहुत सारे सवाल है । क्या है धर्म की परिभाषा ? आखिर क्यों जरुरी है धर्म ? सबसे बेहतर धर्म कौन सा है ? किस धर्म ग्रन्थ को सही माने ? धर्म हमारी जरुरत है या मजबूरी ? धर्म इंसान को सदृढ़ करता है या कमजोर ? धर्म इंसान को शान्ति बनाता है या आतंकवादी ? ईश्वर कौन है और उसका इंसान से क्या सम्बन्ध है ? जिस ईश्वर के लिए ये सब धर्म बनाये गए, आखिर वो हमसे चाहता क्या है ? धर्म परिवर्तन क्या है ? क्यों धर्म परिवर्तन को करने पर मजबूर हो जाते हैं लोग ? किसी कार्य को एक धर्म में पाप बताया है और दूसरे धर्म में पुण्य, ऐसा कैसे संभव है ? सभी धर्म ईश्वर को एक बताते हैं तो फिर धर्मों में उस तक जाने के अलग अलग रास्ते क्यों बताये गए हैं ? जब सबका ईश्वर एक ही है तो हिन्दू धर्म का व्यक्ति मस्जिद में जाकर पूजा क्यों नहीं कर सकता ? एक मुसलमान गिरजाघर में नमाज क्यों नहीं पढ़ सकता ? एक ईसाई गुरूद्वारे में मोमबत्ती जगा कर प्रार्थना क्यों नहीं कर सकता ?   इन सब सवालों के जवाब जाने के लिए हम आपको ले चलेंगे डेरा सच्चा सौ...

कौन हैं संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ? Part 4

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धर्म क्या है ? एक संगठन ? एक समुदाय ? एक समाज ? एक आस्था ? एक विचारधारा ? एक संस्कृति ? एक नियमावली ? एक अनुशासन ? एक पाखंड ? एक दिखावा ? एक छलावा ? एक व्यापार ? एक हथियार ? एक आतंकवाद ? या फिर मात्र एक भ्रम जो सिर्फ खुद को संतुष्ट करने के लिए है ? विश्व में अधिकाँश लोग किसी न किसी धर्म की पहचान रखते हैं । देश के कानून के विपरीत, धर्म की कोई सरहद नहीं है । धर्म द्वारा जुड़े हुए लोगों को कानून से अलग नहीं किया जा सकता लेकिन कानून द्वारा जुड़े हुए लोगों को धर्म के नाम पर अलग करना बहुत आसान है । धर्म को चाहे कुछ भी कहो लेकिन इसका सबसे बेहतरीन पहलू यह है कि यह अनजान लोगों को आपस में जोड़ने का कार्य करता है । समस्या तब आती है जब यह समझना मुश्किल हो जाता है कि धर्म के नाम पर एकजुट हुए व्यक्तियों का इरादा नेक है या नहीं और उससे बड़ी समस्या यह है कि इस बात का निर्णय कौन करे कि धर्म के नाम पर किया जाने वाला कार्य सही है या गलत ? अगर गंभीरता से देखा जाए तो जब किसी भी देश के कानून का फैसला धर्म के मापदंड पर खरा नहीं उतरता या यूँ कहें कि सत्ता और कानून जब खुद को धर्म से या ईश्व...

कौन हैं संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ? Part 3

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संत, गुरु पीर, फ़कीर, पैगम्बर, अवतार, महापुरुष, फरिश्ता, साधू, सतगुरु, मुर्शिद इत्यादि ये सब कौन है और कैसे होती है इनकी पहचान ? इतिहास में देखें तो इन सब की श्रेणी में जो भी व्यक्ति आये उनमे से कोई बहुत ज्यादा गरीब भी थे, अमीर भी थे, राजा भी थे, और प्रजा में भी थे, खूबसूरत भी थे, करूप भी थे, शादी शुदा भी थे, और कुंवारे भी थे, गायक भी थे, नाचने वाले भी थे । इसलिए सच्चे महापुरुष की पहचान इन सब पैमानों से तो करना ही बेकार है ।     हमने अलग अलग महापुरषों की गाथाएं पढ़ी और हमे तीन तरह के महापुरुष मिले । पहले वो जो खुद तपस्या किया करते थे और सबको तपस्या करवाया करते थे । सीधे सादे, किसी से कोई लेना देना नहीं, सिर्फ ईश्वर परमात्मा की बात करते थे । दूसरे वो जो समाज में कुरीतियों की आलोचना करते थे, कुछ नया करना सिखाते थे और कुछ नई बात बताते थे । तीसरे वो जो क्रांतिकारी थे और बुराई से सीधा लड़ते थे, लड़ाई में चाहे उनका मुकाबला दुनिया के राजा से ही क्यों न हो जाए, लेकिन वो पीछे नहीं हटते थे । अधिकतर ऐसे क्रांतिकारी फकीरों ने बुराई के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान गवाई और ...

कौन हैं संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ? Part 2

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सवालों के साथ ही शुरुआत करते हैं । श्री राम चंद्र जी, श्री कृष्ण जी, ईसा मसीह जी, पैगम्बर मोहम्मद साहिब जी, सूफी फ़कीर, गुरु नानक देव जी, गुरु गोबिंद सिंह जी, कबीर दास जी, नामदेव जी, धन्ना भक्त जी, हनुमान जी, वाल्मीकि जी, बुल्ले शाह जी, राजा जनक जी इत्यादि, इन सब को अलग अलग समुदाय में ईश्वर का स्वरुप कहा जाता है । लेकिन क्यों ?  कौन थे ये महापुरुष ? क्यों आये थे ये धरती पर ? क्यों इन सब के होते हुए भी आज तक बुराई ख़त्म होने की बजाय बढ़ती जा रही है ? क्यों इन लोगों ने अलग अलग धर्म बनाये ? धर्म इंसान को जोड़ने का काम करता है या तोड़ने का ? अगर अच्छाई के इतने स्त्रोत है तो बुराई को ताकत कहाँ से मिलती है ?   क्या सही है क्या गलत इसकी परिभाषा कौन तय करता है ? भगवान् कौन है, कितने हैं, कहाँ है, कैसे मिलेगा, क्यों मिलेगा, इत्यादि सवाल है । आज के आधुनिक मानव को धर्म ग्रंथों के नाम भी नहीं पता होते, ज्ञान तो दूर की बात है । आज का आधुनिक मानव जल्दी से जल्दी बड़ा आदमी बनना चाहता है, नाम कमाना  चाहता है, अमीर बनना चाहता है, लेकिन धर्म शास्त्र का ज्ञान लेना नह...

कौन हैं संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इंसा ? Part 1

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संत राम रहीम जी के बहुत सारे चेहरे हैं | डेरा प्रमुख बनने से पहले वो एक किसान थे, एक खिलाड़ी थे, एक पहलवान थे, एक करोड़पति पिता की एकलौती संतान थे और इन सब से बढ़कर वो शाह सतनाम जी महाराज के शिष्य थे । डेरा प्रमुख बनने के बाद वो एक संत के रूप में सामने आये, फिर वो एक लेखक के रूप में सामने आये, फिर एक गायक के रूप में, फिर एक अभिनेता के रूप में, और फिल्म बनाने के लिए जितने मुख्य किरदार चाहिए होते हैं उन सब के रूप में सामने आये । जो प्रतिभाएं उनकी सामने नहीं आयी वो सब वीडियो में देखी जा सकती हैं । कुछ और सवाल जो पूछे गए हैं : अगर संत राम रहीम जी इतने सारे खेल खेलते रहे हैं तो उन्होंने कभी कोई बड़ा टूर्नामेंट क्यों नहीं खेला ?  अगर कोई मैडल जीता है तो कभी दिखाया क्यों नहीं?  वो पढाई में बहुत ज्यादा होशियार थे तो उन्होंने कभी कोई बड़ी परीक्षा क्यों नहीं दी ?  अगर उनमे इतनी सारी प्रतिभाएं हैं तो वो उन्हें सार्वजनिक मंच पर आकर क्यों नहीं दिखाते ?  आखिर स्वयंभू अपने आप को अपने ही मंच से इस तरह से दर्शाना, क्या यह एक दिखावा नहीं है ?  इ...

आखिर क्या हो सकता है बाबा रहीम का कथित मिशन ?

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आज सोशल मीडिया पर देखें तो बाबा राम रहीम के Cyber Cell के सेवक, उनके समर्थक, कईं हिस्सों में बंटे नज़र आ रहे हैं ।  कोई डेरा प्रबंधन को इस सब का दोषी मानकर उनसे सवाल कर रहा है तो कोई किसी चैनल के जरिये अपनी बात रख रहा है । कोई सरकार का मज़ाक बनाने में लगा है तो कोई वकीलों दलीलों की मदद से बाबा को निर्दोष साबित करने में लगा है । कोई लोगों को जगह जगह बाबा के दर्शन करवाने में लगा है तो कोई बाबा की फिल्मों को उनकी असली जिंदगी से जोड़ने में लगा है । कोई इस प्रकरण में पीड़ित व्यक्तियों के साथ हमददर्दी जता रहा है तो कोई बाबा को किसी साजिश का शिकार बता रहा है । इन सब को ध्यान में रखकर हमने कुछ डेरा समर्थकों से बात करने की कोशिश की और जवाब में कुछ अजीबो गरीब बातें सामने आयी, जो कहीं न कहीं इतिहास से मिलती जुलती है। एक व्यक्ति का कहना था कि बाबा मिशन पर गए हैं और उनके बिल में घुसकर उनको मारेंगे । जब मैंने उनसे पूछा कि बाबा एक संत है, और वो सभी मनुष्यों को अपनी औलाद की तरह देखने का दावा करते थे तो फिर उनकी दुश्मनी किससे है ? किसको मारना चाहते हैं बाबा ? और जेल में रहकर कैसे मार ...